कवि सम्मलेन २००७

>> Monday, March 23, 2009



"रंग तरंग और हास्य व्यंग - सीधे प्रसारण के संग"
१० मार्च २००७, फिलेडेल्फिया, यू एस ए, होली के सुअवसर पर फिलेडेल्फिया स्तिथ भारतीय टेंपल भवन में 'रंग तरंग और हास्य व्यंग्य' नामक कवि सम्मेलन का आयोजन 'भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र' के तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम का प्रारभ भारत के प्रख्यात गीतकार सोम ठाकुर नें दीप प्रज्जवलित कर के किया तथा फिर लगभग चार घंटों तक सभी नें कविताओं का रसास्वादन किया। हास्य, व्यंग्य, गीतों तथा ग़ज़लों से सजी शाम का आयोजन इस क्षेत्र में पहली बार किया गया था। इंदौर से पधारी डा अनीता सोनी नें माँ सरस्वती की वन्दना करी तथा अपने सुमधुर कंठ से आनंदित करने वाली रचनाएँ सुनाईं। उनकी होली के अवसर पर लिखी कविता 'बलम अनाडी नें' खूब पसंद किया। न्यू जर्सी से पधारे अनूप भार्गव नें अपनी छोटी छोटी रचनाओं से सभी श्रोताओं का मन मोह लिया तथा वहीं डा बिन्देश्वरी अग्रवाल की कविताओं नें सबको गुदगुदाया। फिलेडेल्फिया के प्रसिद्ध कवि घनश्याम गुप्त नें रामधारी सिंह 'दिनकर' के कुछ छन्द पढ़े तथा अपनी कुछ रचनाएँ सुनाईं। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से पधारे श्री पी के मिश्रा जी नें भी सभा को सबोधित किया। हास्य व्यंग्य के प्रतिष्ठित कवि अभिनव शुक्ल सभागार में सशरीर उपस्तिथ नहीं थे। वे किन्हीं कारणों से सिएटल से फिलेडेल्फिया नहीं आ पाए थे। अभिनव नें सिएटल से सीधे प्रसारण के ज़रिए सभागार में लगे बड़े पर्दे पर अपनी कविताएँ सुनाईं। हिंदी कवि सम्मेलन के मंचों पर यह अनूठा प्रयोग था जिसे श्रोताओं तथा आयोजकों नें पसंद किया। पहली बार हिन्दी कवि सम्मेलन मन्च पर अन्तरजाल के माध्यम से सीधा प्रसारण कराने हेतु विजय ताम्बी का योगदान सरहानीय रहा। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक तथा काव्य प्रेमी उमेश ताम्बी नें बीच-बीच में अपनी चुटकियों तथा रचनाओं से श्रोताओं को भाव विभोर किया। प्रख्यात गीतकार श्री सोम ठाकुर नें अंत में मंच संभाला तथा 'ये प्याला प्रेम का प्याला है' तथा 'लौट आओ मांग के सिंदूर की सौगंध तुमको' सहित अपने अनेक गीत पढ़े। अंत में नन्द टोडी एवम सचिव सन्जीव ज़िदल नें काव्यमयी मधुर शाम के लिए सभी कवियों ऒर श्रोताओ को धन्यवाद दिया।

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