विशाका ठाकर

>> Monday, March 23, 2009

विशाका ठाकर "अपराजिता" की रचनाओं में होली और हमजोली दोनों की रस धार है, शब्दों का चयन और प्रस्तुति सरहानीय है

चन्दा ने जब जब नयनों की खिड़की से है मन में झाँका
या पुरबाई ने फूलों के पाटल पर चुम्बन है टाँका
उन कोमल अनुभूत क्षणों को पिरो लिया है शब्द बना कर
उनको अपनी कविताओं में सहज सजाती सदा विशाखा.

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