घनश्याम गुप्त
>> Monday, March 23, 2009
घनश्याम जी हिंदी मार्तंड है, गीत और नज्म दोनों ही बखूबी से लिखते है
जब शब्द अधर पर आये तो वे गज़लों में अंजाम हुए ,कविता की अभिनव शैली में ढल जाहिर सभी कलाम हुए
मन की हर मधुर भावना को कलियों की नाजुकता से छू, भावों की प्यास मरुथली को ये गीतों के घनश्याम हुए
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